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मुनिसमाज के प्रवर्तक-आदि मुनीश्वर परम योगेश्वर शिवमुनि महाराज का अमर साहित्य

--योग का सच्चा स्वरुप बताने वाले अनुभवपूर्ण ग्रन्थ--

  1. सचित्र योगसाधन (सम्पूर्ण): योग का एक सर्वांगपूर्ण ग्रन्थ जिसे शिव मुनिजी ने स्वयं ४० वर्षों तक योगाभ्यास करके लिखा है। लगभग २५० पृष्ठों में नवीनतम संशोधित संस्करण, जिसमें पुराने संस्करणों की तमाम दुर्लभ सामग्रियाँ भी दी गई हैं। चित्रों को भी सुन्दर रूप में जहाँ उनका वर्णन है वहीं पर दिया गया है।

  2. योगदर्शन शास्त्र - 1 (समाधिपाद) (हिन्दी मुनीश्वर भाष्य): पतंजलि मुनि द्वारा रचित योगदर्शन शास्त्र के समाधिपाद पर मुनिश्वरजी द्वारा विस्तृत हिन्दी भाष्य, जिसने भारत की सच्ची योगविद्या को लुप्त होने से बचाकर साधकों का महान उपकार किया है और योग विषयक अनेक भ्रमपूर्ण धारणाओं को दूर करके उसका वास्तविक रूप प्रकट किया है।

  3. योगदर्शन शास्त्र - 2 (साधनपाद) (हिन्दी मुनीश्वर भाष्य): पतंजलि मुनि द्वारा रचित योगदर्शन शास्त्र के साधनपाद पर मुनिश्वरजी द्वारा विस्तृत हिन्दी भाष्य, जिसने भारत की सच्ची योगविद्या को लुप्त होने से बचाकर साधकों का महान उपकार किया है और योग विषयक अनेक भ्रमपूर्ण धारणाओं को दूर करके उसका वास्तविक रूप प्रकट किया है।

  4. योग और उसकी गुप्त सिद्धियों को प्राप्त करने का उपाय: योग-सिद्धियों के नाम परे जो भ्रम फैला है और जनता ठगी जा रही है, इस पुस्तक में उनका भंडाफोड़ करके सच्ची सिद्धियों का युक्तियुक्त रूप प्रकट किया गया है।

  5. सत्य सरल और सर्वागपूर्ण योग का परिचय: मुनिसमाज के सदस्यों को सर्वागपूर्ण योगसाधन की जो शिक्षा-दीक्षा दी जाती है यह पुस्तक उसकी भूमिका है।

  6. योग विज्ञान: इसमें योग के वैज्ञानिक तत्वों को समझाते हुए “शिवोअहम्" मन्त्र की उपासना का उपदेश दिया गया है।

  7. सच्ची संध्या: प्राणायाम ही संध्या है, इसका वैज्ञानिक रूप बताने वाली एक खोजपूर्ण पुस्तक । यह शिव मुनिजी की प्रारम्भिक रचनाओं में से है।

  8. प्रणव की महिमा: योग मे प्रणव या ॐ जरूरी क्यूँ है शिवमुनी जी महाराज इस किताब मे लिखे हैं। शब्द-ब्रम्ह ॐ की महिमा और आवश्यकता जानने इस किताब को जरूर पढे। 

--आयु आरोग्य और आत्मबल बढ़ाने वाली अद्भुत पुस्तकें--

  1. शरीर से अमर होने का उपाय: अपने विषय की यह एक अद्वितीय पुस्तक है । इसमें अमृतत्व को प्राप्त करने के आध्यात्मिक उपाय बताए गए हैं । यह ज्ञान सचमुच मनुष्य को जीवन देकर मृत्यु से निर्भय बनाने वाला है।

  2. नीरोग होने का अदभुत उपाय: इस पुस्तक में बिन औषधियों के मानसिक शक्ति और शुभ-भावना द्वारा आरोग्य लाभ करने के अनेक सफल उपाय बताए गए हैं।

  3. आत्मबल मनोबल और इच्छाशक्ति: मनुष्य को अपनी आन्तरिक शक्तियों से परिचित कराके आत्मोन्नति का मार्ग दिखाने वाली इस पुस्तक में आत्मबल द्वारा दूसरों का रोग दूर करने की विधि भी दी गई है।

  4. वृद्धावस्था और कुरूपता दूर करने का उपाय: इसमें यौवन और सौन्दर्य का आध्यात्मिक एवं मनोवैज्ञानिक रहस्य समझाया गया है ।

 

--धार्मिक अंधविश्वासों और राजनितिक बंधनो से छूड़ाने वाले स्वतंत्र विचार के क्रन्तिकारी ग्रंथें--

  1. सत्य सुन्दर और स्वतंत्रविचार: इसकी एक-एक पंक्ति धार्मिक जगत में क्रान्ति उत्पन्न करने वाली है। इस पुस्तक को पढ़े बिना आप शिव मुनिजी की विरधारा से पूर्ण परिचित नहीं हो सकते ।

  2. शान्तिदायी विचार: यदि आप शिव मुनिजी की एक ही पुस्तक पढ़ना चाहते हैं तो इसे पढ़िए । इसमें उनके सिद्धान्तों के हर पहलू पर विचार हैं, जो हृदय में अनुपम शान्ति और शक्ति भर देते हैं।

  3. अत्यन्त सत्य और आत्मज्ञान की कथायें: इसमें आत्मा की सत्ता और महत्ता अपूर्व युक्तियों से सिद्ध की गई है और आत्मज्ञान सम्बन्धी कई लघु दृष्टान्त कथायें भी दी गई हैं।

  4. मनुष्य की महिमा; ईश्वर की नहीं: मनुष्य ने ही तरह-तरह के ईश्वरों की रचना कर ली है, पर वह स्वयं अपनी ही महिमा भूल गया है। इस पुस्तक में उसी को प्रकट किया गया है।

  5. ईश्वर है या नहीं ? : इस विषय पर इस पुस्तक में अत्यन्त स्वतन्त्र और क्वान्तिकारी विचार प्रस्तुत किये गये हैं और ईश्वर की मिथ्या कल्पना का खण्डन करके सच्चे ईश्वर का निरूपण किया गया है।

 --स्वर्ग-नरक मुक्ति और सृष्टि के रहस्यों पर मौलिक पुस्तकें--

  1. सूक्ष्म शरीर सूक्ष्म लोक स्वर्ग और मुक्ति का रहस्य: सूक्ष्म शरीर क्या है मरने के बाद क्या होता है, स्वर्ग-नरक की वास्तविकता क्या है और जीवन्मुक्त का लोक कौन है ? इन रहस्यों का युक्तियुक्त समाधान इस अद्वितीय पुस्तक में है।

  2. सच्ची शान्ति, सच्ची मुक्ति और सच्चा स्वराज प्राप्त करने का उपाय: संसार की समस्त अशान्तियों, युद्धों और झगड़ों की जड़ धर्म और राजनीति है इनसे मनुष्य जाति कैसे छूट सकती है इसमें इसी विषय पर मौलिक विचार हैं।

  3. मुक्त और स्वतन्त्र होने का उपाय: चेतन कैसे स्वभाव से मुक्त है, इसी तत्वज्ञान की अनुपम विवेचना इस पुस्तक में है|

  4. सृष्टि विज्ञान शास्त्र: सृष्टि की उत्पत्ति और प्रलय सम्बन्धी धार्मिक कथायें और वैज्ञानिक सिद्धान्त दोनों संतोषजनक नहीं हैं । उनकी विवेचना करते हुए पुस्तक में एक सवंधा नवीन सिद्धान्त प्रस्तुत किया गया है।

  5. भूतविद्या वा मेस्मेरिजम: इस पुस्तक में इस विद्या के रहस्यों को स्पष्ट करते हुए “सिद्ध दर्पण” इत्यादि खेलों का रहस्यीद्घाटन किया गया है और मन की अदूभुत शक्ति प्रकट की गई है।   

 

 

--वेद और वेदान्त विषयक अनुपम ग्रन्थं--

  1. वेदान्त सिद्धान्त: इसमें शिव मुनिजी ने अनेक युक्तियों और प्रमाणों से वेदान्त सिद्धान्तों का प्रतिपादन करते हुए अपने “जीवाद्वैत ” सिद्धान्त का निरूपण है ।

  2. सूक्ष्म अधर्व वेद: इसमें अर्थवेद के आत्मज्ञान सम्बन्धी प्रमुख मन्त्रों का अद्वितीय भाष्य है, जिससे वेद का सच्चा अभिप्राय स्पष्ट हो जाता है। इसमें वेद भाष्य की एक अपूर्व शैली अपनायी गई है जो शिव मुनि जी की अनुपम देन है।

  3. यजुर्वेद सूक्ष्म: इसमें यजुर्ववेद के आत्मज्ञान विषयक प्रमुख मन्त्रों का पूर्व हिन्दी भाष्य है जिससे वैदिक ऋषियों के सिद्धान्त स्पष्ट हो जाते हैं । इसमें भी शिव मुनिजी ने वेदों द्वारा ही वेदों का भाष्य करने की अपनी विशिष्ट शैली अपनायी है|

  4. गायत्री मन्त्र का सच्चा अर्थ: इसमें गायत्री मन्त्र का वास्तविक उद्देश्य और आध्यात्मिक महत्व बताया गया है।

  5. ईशावास्योपनिषदू का निष्पक्ष भाष्य: यह शिव मुनि जी के जीवन की अन्तिम कृति है।

  6. छांदोग्य उपनिषद्‌ में आत्मज्ञान: सामवेद के अन्तर्गत इस प्रसिद्ध उपनिषद्‌ में आत्मा का स्पष्ट स्वरूप बतलाया गया है।

--आलोचनात्मक पुस्तकें--

  1. मुनिसमाज और आर्यसमाज: आर्यसमाज भी दूसरे सम्प्रदायों के समान है। इसमें मुनिसमाज और आर्यसमाज का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए सिद्ध किया गया है कि वेदों में ईश्वर का वर्णन नहीं हैं।

  2. परमार्थ प्रकाश: इसमें आर्यसमाज के प्रवर्तक स्वामी दयाननद की एशान पुस्तक “सत्यार्थ प्रकाश की निष्पक्ष आलोचना करते हुए ऐसे युक्ति प्रमाण दिये गए हैं, जिनको पढ़कर विचारवान चकित हो जाते हैं और मुनिसमाज के समर्थक बन जाते हैं । इसमें शिव मुनिजी के अकाटूय तर्क॑ देखने को मिलेंगे ।

  3. तुलसीकृत रामायण की आलोचना: तुलसीदास के ग्रन्थ “राम-चरित्र मानस' ने अनेक अन्धविश्वास फैला रक्खे हैं- इसमें उन्हीं की निष्पक्ष विवेचना की गई है ।

  4. मुनिंसमाज की स्थापना का उद्देश्य: सोनबरसा राज में १६.४५ में सर्वशरोमणि मुनिसमाज के प्रसिद्ध दशम्‌ महाथिवेशन में शिव मुनि जी का अध्यक्षीय भाषण ।

  5. शंका समाधान: इसमें जिज्ञासुओं और शिष्यों की अनेक शंकाओं का संतोषजनक समाधान किया गया है।

--गीता , रामायण और भागवत का तत्वज्ञान--

  1. गीता पर अत्यन्त निष्पक्ष और स्वतन्त्र विचार: गीता पर अब तक जितनी पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं, यह उन सबसे विचित्र है । गीता-प्रैमियों को इसे अवश्य देखना चाहिए ।

  2. गीता का मर्म: इसमें गीता के श्लोकों द्वारा ही गीता में बार-बार आये हुे 'अहमू' और “माम' शब्दों का वास्तविक अभिप्राय समझाया गया है। यह पुस्तक गीता का सच्चा अर्थ समझने की कुन्जी है।

  3. भागवत का मर्म: यह पुस्तक भागवत में वर्णित श्रीकृष्ण की लीलाओं को समझने के लिए आवश्यक है । इनमें उन कथाओं का आध्यात्मिक अर्थ स्पष्ट किया गया है । भागवत-प्रेमियों और कथावाचकों को इसे अवश्य देखना चाहिए।

  4. रामायण का मर्म: इसमें राम कथा की पुस्तकों में छिपे हुए आत्मज्ञान को प्रकट करके सच्चे “राम" का पता लगाया गया है।

  5. सीता रामायण: इसमें सीताजी ने अपने मुख से राम की कथा लवकुश को सुनायी है। यह पुस्तक बड़ी ही रोचक शैली में लिखी गई है, जिससे राम का वास्तविक जीवनचरित्रं प्रकट होता है।

--सामाजिक रीत-नित मे सुधार लाने वाले ग्रंथे--

  1. स्वतंत्र विचार की विवाह पद्धति: मुनिसमाज मे और सारी समाज मे विवाह कैसे होना चाहिए जिससे रीस्ते मे सफलता मिले इसके बारे मे इस किताब मे लिखा हुआ है।

  2. वीर्य रक्षा: कैसे धातु क्षीणता या स्वप्न-दोष का निवारण कर के जीवन मे नया स्फूर्ति लाना है और वीर्यवान रहना है, इसके वारे मे यह क्रांतिकारी पुस्तक है।

  3. परदे का पाप: समाज मे औरत जात के लिए जो पर्दा का प्रथा है उसका बुरा प्रभाव के बारे मे इस किताब मे उल्लेख है। पर्दा का प्रथा हटाने से क्या क्या लाभ है उसके बारे मे लिख के शिवमुनी जी महाराज सबका ध्यान समाज कल्याण के तरफ खिचे हैं।

  4. ताज़ा और सत्य सनातन धर्म: परम योगेश्वर, शिवमुनि जी महाराज ने ताजा और सत्य सनातन धर्म लिखकर उसके सच्चे स्वरूप को पुन स्थापित करके उसकी शाश्वताए को उजागर कर दिया है।

  5. शिव मुनि महाराज का मुनीश्वर पद से प्रथम भाषण: मुसमाज स्थापना के बाद जोगेश्वर शिवमुनी जी महाराज के मुख से प्रथम संभासन को यहाँ उल्लेख किया गया है।

  6. सनातन धर्म में शुद्धि: दूसरे धर्मों से पुनः अपने हिन्दू धर्म में वापिस मिलने वालों के शुद्धि कार्य के समर्थन में यह किताब लिक्खी गयी है।

--कहानी संग्रह--

  1. शिवमुनि कहानी संग्रह: इसमें शिवमुनी जी महाराज ने योग का महत्व कहानी के माध्यम से समझाने की कौशीस किए हैं।

 

 

--भजन साहित्य--

  1. भजन ज्ञान गीता: स्वयं शिव मुनि जी की रची हुई ५३ भजनों का नया पाकेट सस्करण ! “भजन ज्ञानगीता' की ६ भजनों एवं शुभभावना का संगीतमय कैसेट।

 

 

--शिवमुनि ग्रन्थावली (प्रथम खण्ड)--

             इस ग्रन्थावली मे शिवमुनी जी महाराज के नीचे दिया गया किताबें और शिवबचनामृत मिलाकर प्रकशीत किया गया है।

  1. निरोग होने का अद्भुत उपाय

  2. आत्मबल मनोबल और इछशक्ति

  3. शांतिदायी विचार

  4. सत्य सरल और सर्वांगपूर्ण योग का परिचय

  5. वेदांत सिद्धांत

  6. सत्य सुन्दर और स्वतंत्र बिचार

  7. सत्य सरल और सर्वागपूर्ण योग का परिचय

  8. सूक्ष्म शरीर सूक्ष्म लोक स्वर्ग एबं मुक्ति का रहस्य

  9. शिवबचनामृत

 

 

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अखिल भूमण्डलीय सर्वशिरोमणि मुनिसमाज

24/1 अलहदादपुर, गोरखपुर-273001

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